Amendments in Indian Constitution Hindi – संविधान सभा के द्वारा 26 नवम्बर 1949 को भारतीय संविधान को अपनाने के बाद इसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था| जरुरत के अनुसार समय-समय पर भारत के संविधान में संशोधन किये गए| अब तक भारत के संविधान में कुल 105 संशोधन किये जा चुके हैं तो इस आर्टिकल में हम भारत के संविधान में संशोधन के बारे में पढेंगे। इस टॉपिक से विभिन्न परीक्षाओं में अक्सर प्रश्न पूछे जाते हैं तो अगर आप किसी भी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो इस आर्टिकल को पूरा जरुर पढियेगा| इस आर्टिकल की PDF नीचे दिए गए प्रिंट PDF बटन पर क्लिक करके डाउनलोड कर सकते हैं|
जरुर पढ़िए – संविधान के सभी अनुच्छेद
प्रमुख संविधान संशोधन
Amendments in Indian Constitution Hindi – नीचे दी गई सारणी में भारत के प्रमुख संविधान संशोधनों के बारे में जानकारी दी गई है|
संविधान संशोधन | वर्ष | महत्वपूर्ण बिंदु |
पहला संविधान संशोधन | 1951 | नौवीं अनुसूची को जोड़ा गया |
7वाँ संविधान संशोधन | 1956 | भाषाई आधार पर राज्यों का पुनर्गठन |
10वाँ संविधान संशोधन | 1961 | दादरा एवं नगर हवेली को भारत में शामिल किया |
12वाँ संविधान संशोधन | 1962 | गोवा, दमन और दीव को शामिल किया |
13वाँ संविधान संशोधन | 1962 | नागालैंड को राज्य का दर्जा दिया |
14वाँ संविधान संशोधन | 1963 | पुडुचेरी को भारत में शामिल किया |
15वाँ संविधान संशोधन | 1963 | उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की आयु 62 वर्ष की |
18वाँ संविधान संशोधन | 1966 | पंजाब और हरियाणा अलग राज्य बने |
21वाँ संविधान संशोधन | 1967 | सिंधी को आठवीं अनुसूची में शामिल किया |
22वाँ संविधान संशोधन | 1969 | असम से अलग करके मेघालय बनाया |
26वाँ संविधान संशोधन | 1971 | रियासतों के शासकों का प्रिवी पर्स समाप्त किया |
27वाँ संविधान संशोधन | 1971 | मिजोरम और अरुणाचल को केंद्रशासित बनाया |
31वाँ संविधान संशोधन | 1973 | लोकसभा में 545 सीटें की गई |
35वाँ संविधान संशोधन | 1974 | सिक्किम को सह-राज्य का दर्जा दिया गया |
36वाँ संविधान संशोधन | 1975 | सिक्किम को भारत में शामिल करके 22th राज्य बनाया |
42वाँ संविधान संशोधन | 1976 | “लघु संविधान” बहुत परिवर्तन हुए नीचे विस्तार से पढ़ें |
44वाँ संविधान संशोधन | 1978 | संपत्ति के मौलिक अधिकार को हटाया |
52वाँ संविधान संशोधन | 1985 | दल-बदल विरोधी कानून |
53वाँ संविधान संशोधन | 1986 | अनुच्छेद 371 (G) में मिजोरम को राज्य बनाया |
55वाँ संविधान संशोधन | 1986 | अरुणाचल प्रदेश को राज्य बनाया |
56वाँ संविधान संशोधन | 1987 | गोवा को राज्य का दर्जा दिया |
61वाँ संविधान संशोधन | 1989 | मतदान की आयु 21 से 18 वर्ष की |
65वाँ संविधान संशोधन | 1990 | ST, SC आयोग की स्थापना (अनुच्छेद 338) |
69वाँ संविधान संशोधन | 1991 | दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र बनाया |
71वाँ संविधान संशोधन | 1992 | कोकणी, मणिपुरी और नेपाली भाषा को शामिल किया |
73वाँ संविधान संशोधन | 1992 | पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा |
74वाँ संविधान संशोधन | 1993 | नगर पालिका को संवैधानिक दर्जा |
86वाँ संविधान संशोधन | 2002 | शिक्षा को मौलिक अधिकार में शामिल किया |
91वाँ संविधान संशोधन | 2003 | मंत्री परिषद को कुल सदस्यों का 15% किया |
92वाँ संविधान संशोधन | 2003 | बोडो, डोगरी, मैथिली और संथाली को शामिल किया |
97वाँ संविधान संशोधन | 2011 | सहकारी समितियों को संवैधानिक दर्जा |
100वाँ संविधान संशोधन | 2015 | भारत व बांग्लादेश के बीच जमीन की अदला-बदली |
101वाँ संविधान संशोधन | 2017 | GST को लागू किया |
102वाँ संविधान संशोधन | 2018 | राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा |
103वाँ संविधान संशोधन | 2019 | EWS के लिए 10% आरक्षण |
104वाँ संविधान संशोधन | 2019 | ST, SC आरक्षण 10 वर्षों के लिए बढ़ाया |
105वाँ संविधान संशोधन | 2021 | राज्यों को सामाजिक व शैक्षणिक रूप से पिछड़े हुए वर्ग के पहचान की शक्ति |
सभी 105 संविधान संशोधन
Amendments in Indian Constitution Hindi – अब हम भारत के सभी संविधान संशोधन के बारे में डिटेल में पढेंगे|
प्रथम संविधान संशोधन, 1951 – पहले संविधान संशोधन में नौवीं अनुसूची को जोड़ा गया, जिसमें उल्लेखित कानूनों को सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विलोकन नहीं किया जा सकता है ।
दूसरा संविधान संशोधन, 1952 – 1952 में दूसरे संविधान संशोधन के तहत 1951 की जनगणना के आधार पर लोकसभा के प्रतिनिधित्व को पुनः व्यवस्थित किया गया ।
तीसरा संविधान संशोधन, 1954 – इसके तहत सातवीं अनुसूची में समवर्ती सूची को 33 वी प्रविष्टि के स्थान पर खाद्यान्न पशुओं के लिए चारा कच्चा कपास झूठ आदि को रखा गया जिससे उत्पादन और आपूर्ति को लोकहित के लिए सरकार उस पर नियंत्रण लगा सकती हैं ।
चौथा संविधान संशोधन, 1955 – इसके तहत व्यक्तिगत संपत्ति को लोकहित में राज्य द्वारा हस्तगत किए जाने पर न्यायालय इसकी क्षतिपूर्ति के संबंध में पुनर्विलोकन नहीं कर सकता ।
5वाँ संविधान संशोधन, 1955 – पांचवे संशोधन में राष्ट्रपति को यह शक्ति प्रदान की गई कि व राज्यों के क्षेत्र सीमा और नाम को परिवर्तित करने के लिए प्रस्तावित केंद्रीय विधान पर अपने मत देने के लिए राज्य मंडलों हेतु समय सीमा का निर्धारण कर सकता है।
छठा संविधान संशोधन, 1956 – इसके अंतर्गत सातवीं अनुसूची में संघ सूची में परिवर्तन करें अंतर राज्य विक्री कर पर कुछ वस्तुओं पर केंद्र सरकार को कर लगाने का अधिकार दिया गया।
7वाँ संविधान संशोधन, 1956 – सातवें संशोधन के तहत भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन को मंजूरी दी गई और पहले से तीन श्रेणियों में राज्यों के वर्गीकरण को समाप्त करके राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में विभाजित किया गया । इसके अलावा केंद्र एवं राज्य की विधान पालिकाओं में सीटों की पुनर्व्यवस्था भी की गई।
8वाँ संविधान संशोधन, 1959 – इसके अंतर्गत केंद्र एवं राज्यों के निम्न शब्दों में क्रमशः लोकसभा और विधानसभा में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं आंग्ल भारतीय समुदाय के आरक्षण संबंधित प्रावधानों को अगले 10 वर्ष यानी 1970 तक बढ़ाया गया।
9वाँ संविधान संशोधन, 1960 – इस संशोधन के तहत पहली अनुसूची में परिवर्तन करके भारत-पाकिस्तान के बीच 1958 की संधि के अनुसार बेरुबारी और खुलना क्षेत्रों को पाकिस्तान को दे दिया गया।
10 वा संविधान संशोधन, 1961 – इसके तहत भूतपूर्व पुर्तगाली क्षेत्रों जैसे कि दादर एवं नगर हवेली को भारत में शामिल करके केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया ।
11वाँ सविधान संशोधन, 1961 – इसके तहत उपराष्ट्रपति के चुनाव संबंधित प्रावधानों में परिवर्तन करने के लिए संसद के संयुक्त अधिवेशन को बुलाया और यह निर्धारित किया गया की निर्वाचक मंडल में पदों की रिक्तता के आधार पर राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव को चुनौती नहीं दी जा सकती हैं।
12वाँ संविधान संशोधन, 1962 – इसके अंतर्गत संविधान की पहली अनुसूची में संशोधन कर गोवा, दमन एवं दीव को भारत में केंद्र शासित प्रदेश के रूप में शामिल किया गया।
13वाँ संविधान संशोधन, 1962 – इस संविधान संशोधन के तहत नागालैंड के संबंध में विशेष प्रावधान करके उसे राज्य का दर्जा दिया गया।
14वाँ संविधान संशोधन, 1963 – 14 संविधान संशोधन के तहत पुडुचेरी को केंद्र शासित प्रदेश के रूप में भारत में शामिल किया गया।साथ ही हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, त्रिपुरा, गोवा, दमन एवं दीव तथा पुडुचेरी केंद्र शासित प्रदेशों में विधान पालिका एवं मंत्री परिषद की स्थापना का प्रावधान किया।
15वाँ संविधान संशोधन, 1963 – इस संविधान संशोधन के तहत उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की अधिकतम आयु सीमा 60 वर्ष से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी गई तथा अवकाश प्राप्त न्यायाधीशों की उच्च न्यायालय में नियुक्ति संबंधित प्रावधान बनाई गई।
16वाँ संविधान संशोधन, 1963 – इस संविधान संशोधन के तहत देश की संप्रभुता एवं अखंडता के हित में मूल अधिकारों पर कुछ प्रतिबंध लगाने के प्रावधान किए गए साथ ही तीसरी अनुसूची में भी परिवर्तन करके शपथ ग्रहण के अंतर्गत “मैं भारत की स्वतंत्रता एवं अखंडता को बनाए रखूंगा” को जोड़ा गया।
17वाँ संविधान संशोधन, 1964 – इसमें संपत्ति के अधिकारों में और संशोधन करते हुए कुछ अन्य भूमि सुधार प्रावधानों को भी नौवीं अनुसूची में रखा गया, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय पुनर्विलोकन नहीं कर सकता।
18वाँ संविधान संशोधन, 1966 – इस संविधान संशोधन के तहत पंजाब को भाषाई आधार पर पुनर्गठन करते हुए पंजाबी भाषी क्षेत्र को पंजाब, हिंदी भाषी क्षेत्र को हरियाणा के रूप में गठित किया गया तथा पर्वतीय क्षेत्र को हिमाचल प्रदेश में शामिल किया और चंडीगढ़ को केंद्र शासित प्रदेश बनाया।
19वाँ संविधान संशोधन, 1966 – इसके अंतर्गत चुनाव आयोग के अधिकारों में परिवर्तन किए गए एवं उच्च न्यायालयों को चुनाव याचिकाएं सुनने का अधिकार दिया गया।
20वाँ संविधान संशोधन, 1966 – इसके अंतर्गत अनियमितता के आधार पर नियुक्त कुछ जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति को वैध माना गया।
21वाँ संविधान संशोधन, 1967 – इसके द्वारा सिंधी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया और यह उस समय आठवीं अनुसूची में 15 की भाषा बन गई इससे पहले 14 भाषाएं थी । अभी वर्तमान में 22 भाषाएं हैं|
22वाँ संविधान संशोधन, 1969 – 22 वें संशोधन द्वारा असम से अलग करके मेघालय राज्य बनाया गया।
23वाँ संविधान संशोधन, 1969 – इसके तहत विधान पालिकाओं में अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति के आरक्षण एवं मंगल भारतीय समुदाय के मनोनयन को और 10 वर्षों के लिए बढ़ाया गया इससे पहले यह आठवें संशोधन में किया था।
24वाँ संविधान संशोधन, 1971 – 24 वे संविधान संशोधन के तहत यह प्रावधान किया गया और संसद को शक्ति दी गई कि वह संविधान के किसी भी भाग को, जिसमें भाग 3 के मौलिक अधिकार भी शामिल हैं, को संशोधित कर सकती हैं । साथ ही संशोधन संबंधित विधेयक जब दोनों सदनों से पारित होकर राष्ट्रपति के समक्ष जाएगा, तो राष्ट्रपति इसे स्वीकार करने के लिए बाध्य होंगे।
25वाँ संविधान संशोधन, 1971 – इस संविधान संशोधन के तहत संपत्ति के मूल अधिकारों में कटौती की गई । अनुच्छेद 39 (B) और (C) में वर्णन किए गए नीति निर्देशक तत्वों को प्रभावित करने के लिए बनाए गए कानून को अनुच्छेद 14, 19 और 31 के उल्लंघन के आधार पर चुनौती नहीं दी जा सकती हैं।
26वाँ संविधान संशोधन, 1971 – इस संविधान संशोधन के तहत भूतपूर्व देशी राज्यों के राजाओं की विशेष उपाधियों एवं उनके प्रिवी पर्स को समाप्त कर दिया गया।
27वाँ संविधान संशोधन, 1971 – इसके अंतर्गत मिजोरम एवं अरुणाचल प्रदेश को केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा दिया गया था।
29वाँ संविधान संशोधन, 1972 – इसके अंतर्गत केरल भू-सुधार संशोधन अधिनियम, 1969 और 1971 को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल कर दिया, जिसके बाद अब इन्हें न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती हैं।
31वाँ संविधान संशोधन, 1973 – इसके द्वारा लोकसभा के सदस्यों की संख्या 525 से बढ़ाकर 545 कर दी गई तथा लोकसभा में केंद्र शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व 25 से घटाकर 20 सीटें कर दिया गया।
32वाँ संविधान संशोधन, 1974 – इस संविधान संशोधन के तहत यह प्रावधान किया गया कि संसद और विधान मंडल के सदस्यों द्वारा किसी भी दबाव या जबरदस्ती में दिया गया इस्तीफा अवैध होगा और अध्यक्ष को अधिकार होगा कि वह सिर्फ स्वेच्छा से और उचित त्यागपत्र को स्वीकार करें।
34वाँ संविधान संशोधन, 1974 – इसके तहत भी विभिन्न राज्यों द्वारा पारित 20 भू-सुधार अधिनियम को नौवीं अनुसूची में शामिल कर दिया गया।
35वाँ संविधान संशोधन, 1974 – 35 वें संविधान संशोधन के तहत सिक्किम को संरक्षित राज्य का दर्जा समाप्त करके इसे भारत का संबंध राज्य (co-state) के रूप में शामिल किया गया।
36वाँ संविधान संशोधन, 1975 – 36 वें संविधान संशोधन के तहत सिक्किम राज्य को भारत में शामिल किया गया और इसे भारत के 22वें राज्य के रूप में घोषित किया।
37 वाँ संविधान संशोधन, 1975 – इस संशोधन के तहत आपातकाल की स्थिति की घोषणा और राष्ट्रपति, राज्यपाल या केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासक द्वारा अध्यादेश जारी किए जाने को न्यायिक पुनर्विचार से मुक्त रखा।
39वाँ संविधान संशोधन, 1975 – इस संविधान संशोधन के तहत राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव संबंधित विवादों को न्यायिक पुनर्विचार से मुक्त रखा गया।
41वाँ संविधान संशोधन, 1976 – इस संशोधन के तहत राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्यों की सेवा मुक्ति की आयु सीमा अधिकतम 62 वर्ष कर दी गई और संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के सदस्यों की अधिकतम आयु 65 वर्ष रहने दी गई।
42वाँ संविधान संशोधन, 1976 – इस संविधान संशोधन द्वारा संविधान में व्यापक परिवर्तन लाए गए, इसलिए इसे “लघु संविधान” भी कहते हैं । यह संशोधन इंदिरा गांधी सरकार द्वारा किया गया था और इसमें मुख्य बिंदु निम्नलिखित थे जो कि परीक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है –
- 42 वें संविधान संशोधन के तहत संविधान में 10 मौलिक कर्तव्यों को भाग 4 में अनुच्छेद 51 का में शामिल किया । सभी मौलिक कर्तव्य पढ़ें
- संविधान को न्यायिक परीक्षण से मुक्त कर दिया गया ।
- लोकसभा और विधानसभा की अवधि को 5 वर्ष से बढ़ाकर 6 वर्ष कर दिया गया ।
- सभी विधानसभा एवं लोकसभा की सीटों की संख्या को इस शताब्दी के अंत तक (1999 तक) स्थिर कर दिया गया ।
- संविधान की प्रस्तावना में समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष एवं एकता और अखंडता आदि शब्द जोड़े गए ।
- इस समय पहली बार और अभी तक एकमात्र ही भारत संविधान की प्रस्तावना में संशोधन किया गया था ।
- सभी नीति निर्देशक तत्वों को मूल अधिकारों पर सर्वोच्चता सुनिश्चित की गई ।
- किसी भी केंद्रीय कानून की वैधता के लिए सर्वोच्च न्यायालय और राज्य के कानून की वैधता को उच्च न्यायालय ही परीक्षण कर सकता है ।
- किसी संवैधानिक वैधता के प्रश्न पर 5 से अधिक न्यायाधीशों की बेंच द्वारा दो तिहाई बहुमत से निर्णय होना चाहिए और यदि संख्या 5 तक हो तो सर्वसम्मति से होना चाहिए ।
- 42 वें संविधान संशोधन में वन संपदा, शिक्षा, जनसंख्या नियंत्रण आदि विषयों को राज्य सूची से समवर्ती सूची में शामिल कर दिया गया ।
- इस संशोधन में यह भी निर्धारित किया गया कि राष्ट्रपति, मंत्री परिषद एवं प्रधानमंत्री की सलाह के अनुसार कार्य करेगा ।
- इसमें संसद को राष्ट्र विरोधी गतिविधियों से निपटने के लिए कानून बनाने के अधिकार दिए और सर्वोच्चता भी स्थापित की।
44वाँ संविधान संशोधन, 1978 – यह संविधान संशोधन देश की पहली गैर कांग्रेसी सरकार मोरारजी देसाई के नेतृत्व में किया गया, जिसमें 42 वें संविधान संशोधन के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त कर दिया गया।
- संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटा दिया गया और इसे एक कानूनी अधिकारों की श्रेणी में रखा ।
- इसके अंतर्गत राष्ट्रीय आपातकाल लागू करने के लिए आंतरिक अशांति की जगह संविधान में सैन्य विद्रोह का आधार रखा गया एवं आपात संबंधी अन्य प्रावधानों में भी परिवर्तन लाया गया जिससे उनका दुरुपयोग ना हो ।
- लोकसभा एवं विधानसभाओं की अवधि को 6 वर्ष से घटाकर दोबारा 5 वर्ष कर दी गई ।
- सर्वोच्च न्यायालय को राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव संबंधी विवादों को हल करने की अधिकारिता प्रदान की गई।
50वाँ संविधान संशोधन, 1984 – इस संशोधन के तहत मौलिक अधिकारों में उल्लेखित अनुच्छेद 33 में संशोधन करके सैन्य सेवाओं की पूरक सेवाओं में कार्य करने वालों के लिए आवश्यक सूचनाएं एकत्रित करने देश की संपत्ति की रक्षा करने और कानून तथा व्यवस्था से संबंधित दायित्व भी दिए गए । साथ में इन सेवाओं द्वारा उचित कर्तव्य पालन हेतु संसद को कानून बनाने का अधिकार भी दिए गए।
52वाँ संविधान संशोधन, 1985 – इस संविधान संशोधन में राजनीतिक दल-बदल पर अंकुश लगाने का लक्ष्य रखा गया, जिसके तहत संसद और विधान मंडल के सदस्यों को अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा, जिन्होंने अपने दल को छोड़ दिया जिनके चुनाव चिन्ह पर वह चुने गए थे ।
परंतु यदि किसी राजनीतिक दल की संसदीय पार्टी के एक तिहाई सदस्य अलग दल बनाना चाहते हैं, तो वह अयोग्य नहीं होंगे । दल बदल विरोधी प्रावधानों को संविधान की दसवीं अनुसूची में रखा गया।
53वाँ संविधान संशोधन, 1986 – इस संशोधन के तहत अनुच्छेद 371 में खंड ‘G’ जोड़कर मिजोरम को राज्य का दर्जा दिया गया।
54वाँ संविधान संशोधन, 1986 – इस संशोधन के तहत संविधान की दूसरी अनुसूची में भाग ‘D’ में संशोधन करके न्यायाधीशों के वेतन में वृद्धि करने का अधिकार संसद को दिया गया।
55वाँ संविधान संशोधन, 1986 – इस संशोधन के तहत अरुणाचल प्रदेश को राज्य का दर्जा दिया गया।
56वाँ संविधान संशोधन, 1987 – इस संशोधन के तहत गोवा को भारत के राज्य के रूप में दर्जा दिया गया तथा दमन और दीव को केंद्र शासित प्रदेश के रूप में रहने दिया।
57वाँ संविधान संशोधन, 1987 – इस संशोधन के तहत अनुसूचित जनजातियों के आरक्षण से संबंधित मेघालय, मिजोरम, नागालैंड एवं अरुणाचल प्रदेश की विधानसभा सीटों का परिसीमन इस शताब्दी के अंत तक के लिए कर दिया गया।
58वाँ संविधान संशोधन, 1987 – इस संविधान संशोधन के तहत राष्ट्रपति को संविधान का प्रमाणिक हिंदी संस्करण प्रकाशित करने के लिए अधिकृत किया गया |
60वाँ संविधान संशोधन, 1988 – इसके अंतर्गत व्यवसाय कर की सीमा को ₹250 से बढ़ाकर ₹2,500 प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष कर दिया गया|
61वाँ संविधान संशोधन, 1989 – 61 वा संविधान संशोधन के तहत मतदान की आयु सीमा 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई थी|
65वाँ संविधान संशोधन, 1990 – 65 वें संविधान संशोधन के तहत अनुच्छेद 338 में संशोधन करके अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग के गठन की व्यवस्था की गई|
69वाँ संविधान संशोधन, 1991 – इस संविधान संशोधन के तहत दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) बनाया गया तथा दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र के लिए विधानसभा और मंत्रिपरिषद का प्रावधान किया गया|
70वाँ संविधान संशोधन, 1992 – इस संशोधन के तहत दिल्ली और पुडुचेरी संघ राज्य क्षेत्र की विधानसभा के सदस्यों को भारत के राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल में शामिल किया गया|
71वाँ संविधान संशोधन, 1992 – इस संविधान संशोधन में आठवीं अनुसूची में कोकणी, मणिपुरी और नेपाली भाषा को शामिल किया गया|
73वाँ संविधान संशोधन, 1992-93 – 73वें संविधान संशोधन में पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा दिया गया |इसके तहत संविधान में 11वीं अनुसूची जोड़ी गई तथा इस संशोधन के द्वारा संविधान में भाग 9 को जोड़ा गया | पंचायती राज संबंधित प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 243 और अनुच्छेद 243 (क) से (ण) तक है|
74वाँ संविधान संशोधन, 1993 – 74 वें संविधान संशोधन के तहत संविधान में 12वीं अनुसूची को शामिल किया गया, जिसमें नगर पालिका, नगर निगम और नगर परिषद संबंधित प्रावधान किए गए । इसके तहत संविधान में भाग 9 (A) को जोड़ा गया।
नोट : 73 वा संविधान संशोधन 25 अप्रैल 1993 और 74 वा संविधान संशोधन 1 जून 1993 को लागू हुए ।
76 वाँ संविधान संशोधन, 1994 – इस संशोधन अधिनियम के तहत तमिलनाडु सरकार द्वारा पारित किए गए पिछड़े वर्गों के लिए सरकारी नौकरियों में 69% आरक्षण वाले उपबंध को नौवीं अनुसूची में शामिल कर दिया गया।
78वाँ संविधान संशोधन, 1995 – इसके अंतर्गत विभिन्न राज्यों द्वारा पारित 27 भूमि सुधार कानूनों को नौवीं अनुसूची में शामिल किया और इस प्रकार नौवीं अनुसूची में कुल 284 अधिनियम हो गए।
79वाँ संविधान संशोधन, 1999 – इसके तहत अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण की अवधि 25 जनवरी 2010 तक के लिए बढ़ा दी गई । इसके अलावा इस संशोधन के माध्यम से यह व्यवस्था की गई कि राज्यों को प्रत्यक्ष केंद्रीय कर से प्राप्त कुल धनराशि का 29% हिस्सा प्राप्त होगा ।
82वाँ संविधान संशोधन, 2000 – इस संशोधन के द्वारा राज्यों को सरकारी नौकरियों में आरक्षित स्थानों की भर्ती हेतु प्रोन्नति के मामलों में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की अभ्यर्थियों के लिए न्यूनतम प्राप्तांक में छूट देने की अनुमति प्रदान की गई।
83वाँ संविधान संशोधन, 2000 – इस संशोधन के द्वारा पंचायती राज संस्थाओं में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण का प्रावधान ना करने की छूट दी गई । अरुणाचल प्रदेश राज्य में कोई भी अनुसूचित जाति नहीं होने के कारण उसे यह छूट दी गई ।
84वाँ संविधान संशोधन, 2001 – इस संविधान संशोधन के द्वारा लोकसभा और विधानसभा की सीटों की संख्या में वर्ष 2026 तक कोई परिवर्तन नहीं करने का प्रावधान किया।
85वाँ संविधान संविधान संशोधन, 2001 – इस संविधान संशोधन में सरकारी सेवाओं में अनुसूचित जाति और जनजाति के अभ्यर्थियों के लिए पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था की गई है।
86वाँ संविधान संशोधन, 2002 – 86 वा संविधान संशोधन के तहत देश में 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए अनिवार्य और निशुल्क शिक्षा को मौलिक अधिकार के रूप में अनुच्छेद 21 (A) के अंतर्गत संविधान में जोड़ा गया । साथ ही इस अधिनियम द्वारा संविधान के अनुच्छेद 45 तथा अनुच्छेद 51 (क) [मौलिक कर्तव्य] में संशोधन किए जाने का प्रावधान है।
87वाँ संविधान संशोधन, 2003 – इस संशोधन के तहत परिसीमन में जनसंख्या का आधार 1991 की जनगणना के स्थान पर 2001 की जनगणना को रखा गया।
88वाँ संविधान संशोधन, 2003 – इसमें सेवाओं पर कर (Tax) लगाने का प्रावधान किया गया।
89वाँ संविधान संशोधन, 2003 – अनुसूचित जनजाति के लिए अलग से राष्ट्रीय आयोग की स्थापना की व्यवस्था की गई।
90 वाँ संविधान संशोधन, 2003 – इसके तहत असम विधानसभा में अनुसूचित जनजातियों और गैर अनुसूचित जनजातियों का प्रतिनिधित्व बरकरार रखते हुए बोडोलैंड, टेरिटोरियल काउंसिल क्षेत्र, गैर-जनजाति के लोगों के अधिकारों की सुरक्षा का प्रावधान किया गया।
91वाँ संविधान संशोधन, 2003 – 91 वां संविधान संशोधन के तहत केंद्र और राज्य में मंत्री परिषद के सदस्य संख्या क्रमशः लोकसभा और विधानसभा की कुल सदस्य संख्या का 15% से अधिक नहीं होगा, यह प्रावधान किया गया । जहां सदन की सदस्य संख्या 40 हैं वह अधिकतम 12 होगी।
इसके अलावा इस संशोधन में दलबदल व्यवस्था में परिवर्तन करके केवल संपूर्ण दल के विलय को मान्यता दी।
92वाँ संविधान संशोधन, 2003 – इस संशोधन के तहत संविधान की आठवीं अनुसूची में बोडो, डोगरी, मैथिली और संथाली भाषाओं को शामिल किया गया।
93वाँ संविधान संशोधन, 2006 – इस संशोधन के तहत शिक्षा संस्थानों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के नागरिकों के दाखिले के लिए सीटों के आरक्षण की व्यवस्था की गई और यह संविधान के अनुच्छेद 15 की धारा 4 के प्रावधानों के तहत की गई है ।
94वाँ संविधान संशोधन, 2006 – इस संशोधन के तहत बिहार राज्य में जनजाति कल्याण मंत्री नियुक्त करने संबंधित प्रावधान से मुक्त कर दिया गया और इस प्रावधान को छत्तीसगढ़ और झारखंड पर लागू किया गया।
जनजाति कल्याण मंत्री नियुक्त करने का प्रावधान मध्य प्रदेश एवं उड़ीसा में पहले से लागू है ।
95वाँ संविधान संशोधन, 2009 – इस संशोधन के तहत अनुच्छेद 334 में संशोधन करके लोकसभा में अनुसूचित जातियों को अनुसूचित जातियों के आरक्षण और अंगल भारतीयों के मनोनीत करने संबंधित प्रावधान को 2020 तक बढ़ा दिया गया ।
96वाँ संविधान संशोधन, 2011 – इसके तहत संविधान की आठवीं अनुसूची में उड़िया भाषा के स्थान पर ओड़िया लिखा गया।
97वाँ संविधान संशोधन, 2011 – इस संविधान संशोधन के तहत सहकारी समितियों को एक संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया और संविधान में निम्नलिखित प्रावधान किए गए –
- अनुच्छेद 19 (1)(ग) के तहत सहकारी समिति बनाने का अधिकार मौलिक अधिकार बन गया ।
- अनुच्छेद 43 (ख) के तहत राज्य के नीति में सहकारी समिति को बढ़ावा देने के लिए इसे नीति निर्देशक तत्वों में शामिल किया ।
- सहकारी समितियां नाम से संविधान में नया भाग 9 (ख) को जोड़ा गया ।
98वाँ संविधान संशोधन, 2012 – इस संशोधन के द्वारा संविधान में अनुच्छेद 371 (जे) शामिल किया गया । इसका उद्देश्य कर्नाटक के राज्यपाल को हैदराबाद कर्नाटक क्षेत्र के विकास हेतु कदम उठाने के लिए सशक्त बनाना।
99वाँ संविधान संशोधन, 2014 – इस संविधान संशोधन द्वारा राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग की स्थापना की गई।
100वाँ संविधान संशोधन, 2015 – संविधान संशोधन के तहत भारत बांग्लादेश के बीच में भूमि हस्तांतरण समझौता शामिल है।
101वाँ संविधान संशोधन, 2017 – संविधान के 101 वें संशोधन में वस्तु और सेवा कर (GST) को लागू किया गया।
102वाँ संविधान संविधान संशोधन, 2018 – इस संविधान संशोधन के तहत अनुच्छेद 338 (ख) को जोड़ा गया, जिसमें राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (OBC) को संवैधानिक दर्जा दिया गया |
103वाँ संविधान संशोधन, 2019 – किस संविधान संशोधन के तहत आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लिए 10% आरक्षण की व्यवस्था की गई है|
104वाँ संविधान संशोधन, 2019 – इस संशोधन द्वारा लोकसभा और विधानसभा में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षण को 10 वर्ष यानी 2030 तक बढ़ा दिया गया है |
इसके साथ ही, लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में एंग्लो इंडियन के मनोनीत का प्रावधान हटा दिया गया|
105वाँ संविधान संशोधन, 2021 – इस संविधान संशोधन के द्वारा भारत के राज्यों को सामाजिक व शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग की पहचान करने की शक्ति दी गई|
संविधान संशोधन से जुड़े प्रश्न
प्रश्न – वर्ष 2023 तक भारतीय संविधान में कुल कितने संशोधन किये जा चुके हैं?
उत्तर – भारतीय संविधान में 2023 तक कुल 105 संशोधन किये जा चुके हैं| 105वाँ संविधान संशोधन वर्ष 2021 में किया गया था|
प्रश्न – 42वां संविधान संशोधन किससे संबंधित है?
उत्तर – 1976 में इंदिरा गांधी ने 42 वें संविधान संशोधन द्वारा संविधान की प्रस्तावना में परिवर्तन किया साथ ही लोकसभा और विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्ष के अलावा संविधान में मौलिक कर्तव्यों को जोड़ा गया |
प्रश्न – पहला संविधान संशोधन कब हुआ था?
उत्तर – पहला संविधान संशोधन 1951 में हुआ था जिसमें नौवीं अनुसूची को शामिल किया और इसमें भूमि सुधार संबंधित प्रावधान है |
प्रश्न – 86वाँ संविधान संशोधन कब हुआ था?
उत्तर – संविधान में 86 वा संविधान संशोधन 2002 में हुआ जिसमें 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों की मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान है|
प्रश्न – किस संशोधन द्वारा मतदान की आयु को 21 से 18 वर्ष किया ?
उत्तर – 1989 में संविधान में 61वे संशोधन द्वारा मतदान की आयु को 21 से 18 वर्ष किया गया|
इस आर्टिकल में हमने भारतीय संविधान के सभी 105 संशोधन के बारे में पढ़ लिया है| आशा करते हैं कि यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा|