संगीत वाद्ययंत्र व वादक SSC PDF
Sangeet Vadya Yantra – नमस्कार दोस्तों ssccglexam.com पर आप सभी का स्वागत है| इस आर्टिकल में SSC CGL की परीक्षा के दृष्टिकोण अत्यंत महत्वपूर्ण Static GK के टॉपिक “संगीत वाद्ययंत्र (Sangeet Vadya Yantra) व उसके वादक” से सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण तथ्यों को साझा किया गया है| तो अगर आप SSC CGL या SSC के अन्य किसी एग्जाम की तैयारी कर रहे हैं तो इस आर्टिकल को पूरा जरुर पढ़िए|
Sangeet Vadya Yantra
Sangeet Vadya Yantra – भारत में संगीत वाद्ययंत्र की एक प्राचीन व समृद्धशाली परम्परा रही है| भारत में संगीत वाद्ययंत्रो के इतिहास की जानकारी संगीत के ग्रंथों से लेकर मूर्तिकला व चित्रकला के माध्यम से प्राप्त होती है| भारत में संगीत से सम्बंधित सबसे प्राचीनतम जानकारी भीमबेटका की गुफाओ व हड़प्पा सभ्यता की खुदाई से प्राप्त हुई|
संगीत वाद्ययंत्र के प्रकार
Sangeet Vadya Yantra – भारत मुनि द्वारा लिखे गए नाट्य शास्त्र के अनुसार संगीत वाद्यों को ध्वनि की उत्पत्ति के आधार पर चार भागों में विभाजित किया गया है|
- तत वाद्य [Chordophone or Stringed Instruments]
- सुषिर वाद्य या वायु वाद्य [Aero phone or Wind Instruments]
- अवनद्ध वाद्य या चमड़े के वाद्य [Membranophones or Percussion Instruments]
- घन वाद्य या आघात वाद्य [ Idiophone or Solid Instruments]
तत वाद्य [Chordophone or Stringed Instruments]
Sangeet Vadya Yantra – ऐसे वाद्य यंत्र जिनमे तारों के कम्पन से ध्वनि उत्पन्न होती है, उसे तत वाद्य कहते हैं | वाद्ययंत्र में यह कम्पन उँगली या गज की सहायता से उत्पन्न किया जाता है|
उदाहरण – संतूर, वीणा, सरोद, सितार, सुरबहार, मोहन वीणा, वायलिन, मैन्डोलिन, कमिचा आदि
सुषिर या वायु वाद्य [Aero phone or Wind Instruments]
Sangeet Vadya Yantra – ऐसे वाद्य यन्त्र जिनमे हवा भरकर यानिकि फूंक मारकर ध्वनि उत्पन्न की जाती है, उसे सुषिर वाद्य कहते हैं| हवा के मार्ग को नियंत्रित करके स्वर की तीव्रता को परिवर्तित किया जाता है तथा वाद्य में बने छेदों को उँगलियों की सहायता से खोलकर व बंद करके राग को बजाया जाता है|
उदाहरण – बांसुरी, शहनाई, नदास्वरन आदि
अवनद्ध वाद्य या चमड़े के वाद्य [Membranophones or Percussion Instruments]
Sangeet Vadya Yantra – ऐसे वाद्य यन्त्र जो पशुओं के खाल से बने होते हैं, और उनपर अघात करके ध्वनि उत्पन्न किया जाता है, उसे अवनद्ध वाद्य कहते हैं| इन वाद्य यंत्रो का उल्लेख वैदिक साहित्य में देखने को मिलता है|
उदाहरण – ढोलक, तबला, डमरू, मृदंगम, पखावज, आदि
घन वाद्य या आघात वाद्य [Idiophone or Solid Instruments]
Sangeet Vadya Yantra – मनुष्य द्वारा अविष्कार किये गए सबसे प्राचीन वाद्य यंत्रों को घन वाद्य कहा जाता है | ऐसे वाद्य यंत्रों के बनकर तैयार हो जाने के बाद इन्हें बजाने के समय विशेष सुर को मिलाने की आवश्यकता नहीं होती है|
उदाहरण – बर्तन, झांझ, पत्थर आदि
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संगीत वाद्ययंत्र व वादक
Sangeet Vadya Yantra – अब हम एक-एक करके संगीत वाद्ययंत्र व उनके प्रसिद्ध वादकों के बारे में पढेंगे|
तबला वाद्य यंत्र व वादक
Sangeet Vadya Yantra Tabla – तबला लकड़ी से बनता है जिसके ऊपरी हिस्से को पशुओं की खाल से ढककर चमड़े की पट्टियों की सहायता से जोड़ा जाता है|
भारत के प्रमुख तबला वादकों के नाम निम्नलिखित हैं|
- उस्ताद अल्ला रक्खा खान, जाकिर हुसैन, सामता प्रसाद,
बाँसुरी वाद्य यंत्र व वादक
Sangeet Vadya Yantra Bansuri – बाँसुरी एक खोखली नलिका में स्वर की ऊँचाई को नियंत्रित करने वाले छिद्रों के साथ मूलतः बाँस से बना एक वाद्य यंत्र है| बाँसुरी दो प्रकार की होती है|
- इकहरी बाँसुरी
- दोहरी बाँसुरी
भारत के प्रमुख बाँसुरी वादकों के नाम निम्नलिखित हैं|
- हरिप्रसाद चौरसिया, एन रमानी, राकेश चौरसिया, पन्नालाल घोष, शशांक सुब्रमण्यम, प्रवीन गॉडखिंडी, रघुनाथ सेठ, रोनू मजुमदार आदि
शहनाई वाद्य यंत्र व वादक
Sangeet Vadya Yantra Shehnai – शहनाई एक कम्पिका युक्त वाद्य यंत्र है| विवाह, मंदिर में उत्सव या अन्य किसी मांगलिक कार्यक्रम में बजाये जाने के कारण इसे मंगल वाद्य भी कहा जाता है| भारत की आज़ादी के बाद इस वाद्य यंत्र को उस्ताद बिस्मिल्लाह खान ने प्रसिद्धि दिलाई|
उस्ताद बिस्मिल्लाह खान को संगीत में उनके योगदान के लिए वर्ष 1961 में पद्म श्री, 1968 में पद्म भूषण, 1980 में पद्म विभूषण व 2001 में भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया|
भारत के प्रमुख शहनाई वादकों के नाम निम्नलिखित हैं|
- उस्ताद बिस्मिल्लाह खान, कृष्णा राम चौधरी, उस्ताद अली अहमद हुसैन खान, पंडित अनन्त लाल, दयाशंकर आदि
सितार वाद्य यंत्र व वादक
Sangeet Vadya Yantra Sitar – 13वीं शताब्दी में सितार का अविष्कार तराना, ख्याल व कव्वाली शैली के कवि अमीर खुसरो ने किया था| सितार वाद्य यंत्र भारतीय वीणा व ईरानी तम्बूरा का मिश्रण है| सितार से अप्रगामी व अनुप्रस्थ तरंगे उत्पन्न होती हैं| सितार के तारों की मोटाई अलग-अलग होती है|
भारत के प्रमुख सितार वादकों के नाम निम्नलिखित हैं|
- पंडित रविशंकर, निखिल बनर्जी, विलायत खान, वन्दे हसन, शाहिद परवेज, बुद्धादित्य बनर्जी, उमाशंकर मिश्रा आदि
संतूर वाद्य यंत्र व वादक
Sangeet Vadya Yantra Santoor – संतूर को शततंत्री वीणा के रूप में भी जाना जाता है और इसमें 72 तार होते हैं| लगभग 1800 वर्ष पहले संतूर की उत्पत्ति वर्तमान ईरान देश में हुआ था|
भारत के प्रमुख संतूर वादकों के नाम निम्नलिखित हैं|
- पंडित शिवकुमार शर्मा, राहुल शर्मा, उल्हास बापट, भजन सोपोरी, अभय सोपोरी, तरुण भट्टाचार्य, सतीश व्यास, आर विस्वेश्वरन आदि
सरोद वाद्य यंत्र व वादक
सरोद शब्द फारसी मूल का है जिसका अर्थ है – गीत या माधुर्य| सरोद में मुख्यतः 6 या 8 तार होते हैं| विश्व में सरोद को प्रसिद्धि दिलाने का श्रेय उस्ताद अमजद अली खान को जाता है|
भारत के प्रमुख सरोद वादकों के नाम निम्नलिखित हैं|
- उस्ताद अलाउद्दीन खान, उस्ताद अमजद अली खान, अली अकबर खान, सौमिक दत्त, अभिषेक लाहिरी, बृजनारायण, हाफिज अली खान, राजीव तारानाथ, अयान अली खान, अमान अली खान व असद किजिबैश, बुद्धदेव दास गुप्ता, बहादुर खान, शरन रानी आदि
सुरबहार वाद्य यंत्र व वादक
सुरबहार सितार वाद्य यंत्र का एक बदला हुआ रूप है| इसमें सात मुख्य तार होते हैं| वर्ष 1825 के आस-पास लखनऊ के गुलाम मोहम्मद खान को सुरबहार के अविष्कार का श्रेय दिया जाता है|
भारत के प्रमुख सुरबहार वादकों के नाम निम्नलिखित हैं|
- अन्नपूर्णा देवी, उस्ताद विलायत खान, उस्ताद इमरत खान, इरशाद खान आदि
सारंगी वाद्य यंत्र व वादक
सारंगी प्राचीन काल में घुमक्कड़ जातियों का वाद्य यंत्र था| इसे पहले सारिन्दा के नाम से जाना जाता था| सारंगी मुख्यतः दो प्रकार की होती है|
- सिन्धी सारंगी
- गुजरातन सारंगी
भारत के प्रमुख सारंगी वादकों के नाम निम्नलिखित हैं|
- शकूर खान, पंडित राम नारायण, अहमद खान, रमेश मिश्रा, ध्रुब घोष, सुरिंदर संधू, उस्ताद सुल्तान खान, उस्ताद बुन्दू खान आदि|
वीणा वाद्य यंत्र व वादक
वीणा भारतीय संगीत का एक महत्वपूर्ण वाद्य यंत्र है और हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार ज्ञान की देवी माँ सरस्वती भी वीणा बजाती हैं| वीणा में सामान्य तौर पर सात तार होते हैं| गुप्त वंश के प्रसिद्ध राजा समुद्रगुप्त वीणा बजाने में निपुण थे|
भारत के प्रमुख वीणा वादकों के नाम निम्नलिखित हैं|
- डॉ लालमणि मिश्रा, एस बालचंद्रन, पुण्य श्रीनिवास, कृष्ण भागवतार, लालगुड़ी जयरामन आदि
रूद्र वीणा वाद्य यंत्र व वादक
रूद्र वीणा, वीणा वाद्य यंत्र का ही एक उन्नत संस्करण है|
भारत के प्रमुख रूद्र वीणा वादकों के नाम निम्नलिखित हैं|
- ज्योति हेगड़े, असद अली खान, जिया मोहिउद्दीन हेगड़े आदि
वायलिन वाद्य यंत्र व वादक
वायलिन विश्व के सबसे प्रसिद्ध वाद्ययंत्रों में से एक है| प्रसिद्ध वैज्ञानिक अलबर्ट आइन्सटीन भी वायलिन बजाने में कुशल थे| वायलिन को हिंदी में बेला नाम से जाना जाता है|
भारत के प्रमुख वायलिन वादकों के नाम निम्नलिखित हैं|
- द्वारम वेंकटस्वामी नायडू, विष्णु गोविन्द जोग, एम चन्द्रशेखरन, TN कृष्णन, श्रीमती एम राजन, लालगुडी जयराम, MS गोपालकृष्णन आदि|
पखावज वाद्य यंत्र व वादक
पखावज एक प्रकार का ढोलक है तथा तबले की उत्पत्ति पखावज से ही हुआ था| पखावज को पुष्कर, मृदंग व मृदल आदि नामों से भी जाना जाता है|
भारत के प्रमुख पखावज वादकों के नाम निम्नलिखित हैं|
- तोताराम शर्मा, पंडित अयोध्या प्रसाद, उप्पालपू श्रीनिवास, पंडित गोपाल दास व राम शंकर दास आदि
नादस्वरम वाद्य यंत्र व वादक
नदस्वरम वाद्य यंत्र की उत्पत्ति तमिलनाडु राज्य में हुआ था तथा यह उत्तर भारत की शहनाई से काफी मिलता जुलता है|
भारत के प्रमुख नादस्वरम वादकों के नाम निम्नलिखित हैं|
- शेख चिन्ना मौलाना व TN राजारत्नम आदि
घटम वाद्य यंत्र व वादक
घटम बड़े आकार वाला संकीर्ण मुंह का मिट्टी का बर्तन होता है, जिसका उपयोग तबले के रूप में किया जाता है|
भारत के प्रमुख घटम वादकों के नाम निम्नलिखित हैं|
- विक्कू विनायक या टी विनायक्रम व EM सुब्रमण्यम आदि
पियानो वाद्य यंत्र व वादक
पियानो एक तार वाला वाद्य यंत्र है इसे महावाद्य के रूप में भी जानते हैं| पियानो का अविष्कार 10वीं शताब्दी में बार्थोलोमेयो क्रिस्टोफर ने किया था|
भारत के प्रमुख पियानो वादकों के नाम निम्नलिखित हैं|
- वी बलसारा, अनिल श्रीनिवासन, लाइडियन नदास्वरम (Lydian Nadhaswaram) आदि
तो इस प्रकार से हमने संगीत वाद्य यंत्र (Sangeet Vadya Yantra) व वादक के बारे में पढ़ लिया है| आशा करते हैं कि यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा|
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